Ram Ki Shakti Puja Aur Sanshay Ki Ek Raat : Path Punarpaath | राम की शक्ति पूजा और संशय की एक रात - पाठ पुनर्पाठ By राजेश्वर कुमार Rajeshwar Kumar(Paperback, Hindi, Rajeshwar Kumar)
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निराला के राम आज के मध्यवर्गीय आधुनिक मनुष्य के ज्यादा करीब दिखते हैं। वे रोते हैं, लडऩे को तैयार होते हैं, थकते हैं, हारते हैं अपनी पत्नी की मुक्ति के लिए हर तरह की साधना को तत्पर हैं। नरेश मेहता के 'रामÓ साधारण मनुष्य नहीं लगते हैं। वे गाँधी और बुद्ध की तरह महामानव लगते हैं, जहाँ वे मानव से मानव का सत्य चाहते हैं चाहे 'सीताÓ की मुक्ति हो या न हो। नरेश मेहता के राम संशयग्रस्त तो हैं परन्तु शुष्क एवं बौद्धिक हैं जबकि निराला के राम संशयग्रस्त होने के बावजूद आद्र्र एवं संकल्पी हैं। नरेश मेहता के राम युद्ध का विकल्प ढूँढ़ते हैं जबकि निराला के राम युद्ध में संकल्प की साधना करते हैं। निराला के राम अपेक्षाकृत भावुक होते हुए भी जीवन्त एवं यथार्थ के करीब लगते हैं जबकि नरेश मेहता के राम बौद्धिक एवं आधुनिक होते हुए भी कृत्रिम प्रतीत होते हैं। –इसी पुस्तक से... निराला के 'रामÓ 'पुरुषोत्तम नवीनÓ हैं। वे आधुनिक हैं। वे तुलसी के राम की तरह देवत्व को प्राप्त नहीं हैं। इसका कारण यह है कि निराला के 'रामÓ एक साधारण मनुष्य की तरह संघर्ष करते हुए दिखते हैं। निराला के राम को रावण का जय डराता है। वे 'सीता की मुक्तिÓ को लेकर चिन्तित होते हैं। परिस्थितियों से घबराते हैं– फिर बाह्य और आन्तरिक दोनों स्तरों पर संघर्ष करते हैं। निराला के राम निराश होते हैं, उन्हें बीच-बीच में आशा और उम्मीद की किरणें भी दिखती हैं। उनका एक मन हारता है तो दूसरा मन थकने और झुकने का नाम नहीं लेता है। किसी भी पौराणिक चरित्र की ये सारी चीजें उसे एक आधुनिक मनुष्य के निकट लाती हैं। इसीलिए निराला के राम पौराणिक चरित्र कम एक आधुनिक मनुष्य ज्यादा लगते हैं। –इसी पुस्तक से...